Pooja Sawariya
पूजा साँवरिया एवं वो अधिकांश महिलाओं की तरह एक साधारण गृहिणी हैं, वह अलीगढ़ ज़िले के एक प्रतिष्ठित ऑटोमोबाईल्स ग्रुप जट्टारी ग्रुप से ताल्लुक़ात रखती हैं ! उनकी पहली पुस्तक ‘समर्पण’ जिसे कि आप सभी ने खूब सराहा था, स्वीकार किया था ! उसी सराहना ने उन्हें अपनी दूसरी पुस्तक आत्म सारांश’ लिखने के लिए प्रेरित किया ! इस पुस्तक में उन्होंने ऐसे कई अनछुए पहलुओं पर लिखा है, जिन्हें आज तक शायद किसी ने भी लिखने की कोशिश नहीं की है ! इस पुस्तक में स्पर्श के अहसासों को मन की स्याही से लिखने का प्रयास किया है,जैसा की सभी जानते हैं कि स्पर्श एक अहसास ही तो है,जो ना केवल किसी के छूने से,अपितु बातों का, हवाओं का, सूरज चांद सितारों का, स्पर्श माँ और पिता का, भाई-बहन का, हर अपनों का जिनके साथ बचपन गुजरा । कुछ स्पर्श जो सुकून देते हैं तो कोई स्पर्श आजीवन के कष्ट दे जातें हैं ।
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समर्पण
समर्पण’ नामक पुस्तक में व्यक्ति के जीवन में यदा कदा मन से निकलने वाले वो भाव और विचार हैं जो एक आम ज़िंदगी में व्यक्ति के आस पास देखे और महसूस किए जातें हैं, इस पुस्तिका की लेखिका श्रीमती पूजा गोयल ने भी जीवन में अपने आस पास और समाज में ऐसी ही कुछ विसंगतियाँ को देखा और सुना, उन्होंने उन्ही विसंगतियों पर पहले कुछ पंक्तियाँ लिखीं उसके बाद जैसे जैसे उनका मनोबल बढ़ता गया वो और लिखती गयीं, धीरे धीरे उनकी कविताओं ने संग्रह का रूप ले लिया उन्होंने अपनी सभी कविताओं को कृष्णा जी को समर्पित किया हैं ये पुस्तक लेखिका का पहला प्रयास है
आत्म सारांश
The book “Aatm Saransh” is a collection of some such poems which are a mixture of incidents happening in our common life, evils and feelings of love and anger shown by a particular person. The author has written this book through her own expressions of poetry, her aim is that through these poems, She can put some such problems of the society in front of everyone, about which probably no one likes to talk about. Her aim is not to hurt anyone’s feelings, She is just writing some such topics in this book, they may not be available to read anywhere
स्पर्श : एक एहसास
‘स्पर्श एक एहसास’ पुस्तक में जन्म से लेकर मृत्यु तक के इस पूरे चक्र में स्पर्श के अलग अलग अहसासों को कविता के माध्यम से पिरोया गया है ! स्पर्श” कहने को तो एक शब्द है, किन्तु ये वो एहसास है जो एक ओर स्नेह, प्रेम, ममता और वात्सल्य को प्रकट करता है तो दूसरी ओर रोष, क्रोध, अहंकार, पीड़ा और आजीवन के घाव को भी व्यक्त करता है ।एक ओर स्पर्श दवा है तो दूसरी ओर पीड़ा | स्पर्श एक अनुभूति है,एक एहसास है अपने पन का, जो दिल से रूह तक के रिश्तों को एक बन्धन में बांधता है ! जीवन की बेला से जीवन की गोधूलि तक एक अभिव्यक्ति है जो किसी ना किसी के माध्यम से एक एहसास दे जाती है ।
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